27 May, 2021

कोरोना का अनुभव

 कुछ दिन पहले अचानक मेरी तबियत बिगड़ी, 

कहीं यह corona तो नहीं, हुई टेंशन तगड़ी, 


डॉक्टर ने कहा, "बेटे तू corona ही मान", 

"बंद हो जा कमरे में, और रख अपना ध्यान",   


फ़िर शुरू हुई मेरी 14 दिन की सज़ा, 

मन में डर के साथ आया थोड़ा मज़ा, 


सोचा tension free हो के movies देखूँगा, 

मैं Netflix Prime Hotstar पे आँखे सेकूँगा, 


फ़िर सोचा टाइम waste ना ही करूँ यार, 

क्यों न पढ़ के हो जाऊँ IAS के लिए तैयार,


लेकिन मेरे यह सारे सपने टूट गए, 

जब बुख़ार से मेरे छक्के छूट गए, 


फ़िर कभी Oxygen कम, तो कभी ज़्यादा, 

कभी दवाई ठूसो, तो कभी गरम काढ़ा,


कभी शरीर ढीला, तो कभी हिम्मत ढ़ीली, 

खाने का taste ख़त्म, दाल-सब्ज़ी ज़हरीली,  


गहरी साँसे ले-ले कर हुआ मैं पागल, 

कभी steam, तो कभी गर-गर gargle, 


आस पास के हाल से हुआ दिमाग ख़राब, 

दवाई खा रहा था, वरना पी लेता शराब, 


एक सवाल ने तो ख़ून ही पी लिया यार, 

क्या 99 की line में माना जाएगा बुख़ार?


किसी तरह समय बीता और हुआ मै आज़ाद, 

ज़िन्दगी का यह आधा महीना रहेगा हमेशा याद,  


एक बात ज़रूर समझ में आई, 

के घर में ही रहने में है चतुराई,


बहादुर वह भी, जो समझ जाए कब डरना है,

अगर हार है पक्की, तो क्यों मैदान में उतरना है|

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