कल जब मेरे पतिदेव ऑफिस से आए
थोड़ा आराम किया तो मैनै मांग ली चाय
गुस्से में देखा मुझे और बोले "भगवान् से डर"
"मै बहुत थका हूँ, तुम सारा दिन बैठी थी घर"
मैंने कहा "परमेश्वर", बात कान खोल के सुन
किसका काम ज़्यादा कठिन, दोनों में से चुन
कोई पूछे "क्या करते हो", तू तुरंत दे जवाब,
मै बोलू "हाउसवाइफ", करके मूड ख़राब
तू दो पैसे घर लाए, और बन जाए हीरो
मै काम करू कितना, मेरी सैलरी ज़ीरो
तू जूनियर, तू सीनियर, तू होता जा मशहूर
मै तो रोज़ वही काम करू, जैसे एक मज़दूर
तू मिलता सौ लोगों से, और करता नई बात
मै रोज़-रोज़ करती हूँ, कामवाली से मुलाक़ात
तू कभी-कभी थोड़ी, मुश्किल में भी अटक जाए
मैं तो रोज़ अटकू, जब बच्चे मुझपे लटक जाए
तू कभी हफ्ते में थक जाए तो वीकेंड पे विश्राम
मै गलती से थक गई तो लगेंगे आलस के इलज़ाम
तू सपने देखता है, के कुछ बड़ा कर दिखाएगा
मै तो जानती हूँ, अपना टाइम कभी नहीं आएगा
पति बोले 'ओके', भॉँप ली थी उन्होंने संकट
कुछ ही देर में चाय के साथ, पकोड़े हुए प्रकट
. . . और बोले "लो आ गया आपका टाइम"
Note from the writer: The household chores are incredibly difficult, boring, and are killing dreams slowly but surely. Most of all, these 'housewives' tasks are bloody thankless. So, let's respect everyone who runs the house. I dream of a world where housewives are officially paid for the work they do. Pakode khilaane se time kabhi nahi ayega! Respect dene se shayad aane lage . .
Ksh!
Wow!!!!!
ReplyDeleteSuch a lyrical post and amazing contrast of both the working members of the family!
However it's a brutally honest story of every household!
Ye wala to I will share with my MIL ( She is also a homemaker)..
Regards' Megha
Thank you. I hope auntyji like it.
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