15 February, 2011

सूअर के बच्चे


सूअर के बच्चे करने लगे सड़क पार,
अचानक तभी आ गई एक कार,

सूअर ने दूर से देखा, पाया खुद को लाचार,
पर वो कार न रुकी... थी तेज़ उसकी रफ़्तार,

दो बच्चे कुचले गए, हुए मृत करार,
सूअर के तो दिल में जैसे पड़ी एक दरार,

शायद जीवन से अब उसने मान ली थी हार,
नज़र नहीं आ रहे थे कोई ख़ुशी के आसार,

लगा उसको ऐसा सदमा, वो गया एक BAR,
गटागट चार बीयर पी उसने, और फिर मारी डकार,

और नशे मे आत्महत्या का वो करने लगा विचार,
जीवन को कहना चाहता था टाटा, और मौत को नमस्कार,

पर अगले ही दिन सूअर को मिला यह समाचार,
कि ड्राईवर को पुलिस ने कर लिया गिरफ्तार,

सूअर हुआ बेहद खुश, किया उसने श्रृंगार,
और पास के एक होटल गया, होटल चमत्कार,

आर्डर किया उसने... एक प्लेट पोर्क, रोटी, और अचार,
.
.
.
वेटर बोला, सूअर सर, हमको दीजिये minutes चार,

दो छोटे सूअर फ्रेश है, हुए थे एक गाड़ी के शिकार,
कढ़ाई में डालके हो जाएंगे आपके लिए तैयार|

5 comments:

  1. Arre, it will take me a year to complete reading anything in Hindi. Kindly post in Englipis please :-)

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  2. Waaaahhh...adbhud! Both funny n sad! And u must be tired of hearing this...but as usual..amazingly creative! Shabaash!

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  3. @ Pal - Yo man, next one in English. I was just experimenting :)

    @ J - ...and, you're the only one who liked it. But, that's good as well. Thanks.

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  4. What a morbid little poem :-)

    Going the Poe way?

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  5. @ Shweta - You leave one little comment and I have to google to understand what you mean :)

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